अतिश्योक्ति अलंकार :Atishyokti alankar की परिभाषा भेद व सम्पूर्ण____hindi0point

अतिशयोक्ति अलंकार (Atishyokti Alankar)

परिभाषा- जहाँ किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। अर्थात जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाये उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते हैं।

 

अतिशयोक्ति अलंकार :-

अतिशय + उक्ति = बढा-चढाकर कहना।

 

अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण :–

हनुमान जी की पूंछ में लगन ना पायी आग,

लंका सगरी जल गए, गए निशाचर भाग।

 

इसका अर्थ : – यह है कि हनुमान जी की पूंछ में आग लगी ही नही थी कि पूरी लंका जल गई। इसमें गुणों का बखान किया गया है।

 

आगे नदियां पड़ी अपार घोडा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पार।।

 

ऊपर दी गयी पंक्तियों में बताया गया है कि महाराणा प्रताप के सोचने की क्रिया ख़त्म होने से पहले ही चेतक ने नदियाँ पार कर दी।

 

यह महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की अतिशयोक्ति है एवं इस तथ्य को लोक सीमा से बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। अतः यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

 

अतिशयोक्ति अलंकार के 12 उदाहरण:-

1.मै तो राम विरह की मारी, मोरी मुंदरी हो गयी

कंगना |

2. बालों को खोलकर मत चला करो, दिन में रास्ता

भूल जायेगा सूरज।।

3. बांधा था विधु को किसने इन काली जंजीरों से?

मणि वाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ हीरो से?

4. युद्ध में अर्जुन ने तीरों की ऐसी बौछार की, कि

सूरज छुप गया और धरती पे अँधेरा छा गया ।

5. एक दिन मैंने ऐसी पतंग उड़ाई, ऐसी ऊंची पतंग

उड़ाई,उड़ते-उड़ते वह देव लोक में पहुंच गई !

6. हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि, लंका

सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग ।।

7. वह शेर इधर गांडीव गुण से भिन्न जैसे ही हुआ,

धड़ से जयद्रथ का उधर सिर छिन्न वैसे ही हुआ।।

8. देख लो साकेत नगरी है यही, स्वर्ग से मिलने गगन जा रही है।.

9. संदेसनि मधुवन-कूप भरे।

10. लहरें ब्योम चूमती उठती।

11. परवल पाक फाट हिय गोहूँ।

12. जोजन भर तेहि बदनु पसारा, कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा||

 

अतिशयोक्ति अलंकार कुछ अन्य उदाहरण :-

(a) देख लो साकेत नगरी है यही।

स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही।

(b) बाँधा था विधु को किसने इन काली जंजीरों से मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ है हीरों से।

(c) मैं बरजी कैबार तू, इतकत लेति करौंट।

पंखुरी लगे गुलाब की, परि है गात खरौंट।।

 

अतिश्योक्ति अलंकार निष्कर्ष :–

उपरोक्त अध्ययन के उपरांत स्पष्ट होता है आप और हम अतिशयोक्ति का प्रयोग रोजमर्रा के जीवन में भी करते हैं. जैसे कि कई बार आपको अपने दोस्तों को कोई कहानी सुनानी होती है तो आप उसे बढ़ा चढ़ाकर बताते हैं ताकि सामने सुनने वाले को आनंद आए और वह आपसे ज्यादा जुड़ सके.

 

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