यमक अलंकार : Yamak alankar | उदाहरण, परिभाषा | hindi0point

यमक अलंकार : Yamak alankar | उदाहरण, परिभाषा | hindi0point

 

यमक अलंकार की परिभाषा :-

 

परिभाषा :- जहाँ पर एक शब्द की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है और सभी का अर्थ अलग-अलग हो वहां पर यमक अलंकार होता है। इसकी पहचान एक शब्द के बार बार दोहराए जाने से की जाती है।

अथवा

प्रयोग किए गए शब्द का अर्थ हर बार अलग होता है। शब्द की दो बार आवृति होना वाक्य का यमक अलंकार के अंतर्गत आने के लिए आवश्यक है।

जैसे-

कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय।

या खाए बौरात नर या पाए बौराय ।।

Explain:- इस पद्य में ‘कनक’ शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है। प्रथम कनक का अर्थ ‘सोना’ और दूसरे

कनक का अर्थ-धतूरा है। अतः; ‘कनक’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थ के कारण उक्त

पंक्तियों में यमक अलंकार की छटा दिखती है।

 

Example- ऊधौ जोग जोग हम नाहीं ।

 

Explain:- प्रस्तुत पंक्ति में ‘जोग’ शब्द की दो बार आवृत्ति हुई है। इसमें पहले जोग का अर्थ ‘योग साधना’ और दूसरे का अर्थ ‘योग्य’ है

 

Example – खग-कुल कुल-कुल से बोल रहा ।

 

Explain:- प्रस्तुत पंक्ति में ‘कुल’ शब्द दो बार आया है। इसमें

पहले का अर्थ वंश है तथा दूसरे का अर्थ है कुल कुल की ध्वनि। अतः यहां यमक अलंकार है।

 

Example –

माला फेरत जग गया, फिरा न मन का फेर |

कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।

 

Explain:- ऊपर दिए गए पद्य में ‘मनका’ शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है। पहली बार ‘मनका’ का आशय माला के मोती से है और दूसरी बार ‘मनका’ से आशय है मन की भावनाओ से।

 

अतः ‘मनका’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थ के कारण उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार की छटा दिखती है।

Example-

कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी

 

Explain:- जैसा की आप देख सकते हैं की ऊपर दिए गए वाक्य में ‘बेनी’ शब्द दो बार आया है। दोनों बार इस शब्द का अर्थ अलग है।

पहली बार ‘बेनी’ शब्द कवि की तरफ संकेत कर रहा है। दूसरी बार ‘बेनी’ शब्द चोटी के बारे में बता रहा है। अतः उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार है।

 

यमक अलंकार किसे कहते है?

 

परिभाषा :- एक शब्द एक से अधिक बार आवे और हर बार अलग-अलग अर्थ निकले, वहाँ यमक अलंकार होता है।

 

Example:- “वहे शब्द पुनि पुनि परै, अर्थ भिन्न ही भिन्न”

अर्थात जब कविता में एक शब्द दो या दो से अधिक बार आये, और हर बार उसका अर्थ भिन्न हो वहां यमक अलंकार होता है.

 

Yamak Alankar दो प्रकार के होते है-

1. सभंग पद यमक

2. अभंग पद यमक

 

यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण :-

• जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं ।

• तीन बेर खाती थी वह तीन बेर खाती है।

 

• बरजीते सर मैन के, ऐसे देखे मैं न हरिनी के नैनान

ते हरिनी के ये नैन ॥

 

• केकी रव कि नूपुर ध्वनि सुन, जगती जगती की मूक प्यास ॥

 

• तोपर वारौं उस बसी, सुन राधिके सुजान ।

तू मोहन के उस बसी ह्वे उरबशी सामान ॥

 

• भर गया जी हनीफ जी जी कर, थक गए दिल के

चाक सी सी कर ।

 

Example :- यों जिये जिस तरह उगे सब्ज़, रेग जारों में ओस पी पी कर ॥

 

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