muhavare (मुहावरे) aur lokoktiyan(लोकयुक्ति) ki paribhasha || muhavare aur lokoktiyan mein antar -hindi0point

muhavare (मुहावरे) aur lokoktiyan(लोकयुक्ति) ki paribhasha || muhavare aur lokoktiyan mein antar -hindi0point

꧁लोकोक्तियाँ एवं मुहावरे꧂

 

 महावरे-लोक मानस की चिरसंचित अनुभूतियाँ हैं। उनके प्रयोग से भाषा की सजीवता की वृद्धि होती है। मुहावरे भाषा के प्राण डॉ. मनोहरलाल गौड़

muhavare (मुहावरे) aur lokoktiyan(लोकयुक्ति) ki paribhasha || muhavare aur lokoktiyan mein antar -hindi0point

लोकोक्ति-यह वास्तव में वह तीखी युक्ति है जो श्रोता के हृदयपर सीधा प्रभाव डालती है। इसे कहावत, प्रवाद, वाक्य, जनश्रुति आदि नामों से भी संबोधित किया जाता है।

  ✯  मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर ✯

मुहारा वाक्यांश है और इसका स्वतन्त्र रूप से प्रयोग नहींकिया जा सकता। लोकोक्ति सम्पूर्ण वाक्य है और इसका प्रयोग स्वतन्त्र रूप से किया जा सकता है। जैसे-‘होश उड़ जाना’ मुहावरा है। ‘बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी’ लोकोक्ति है।

 

समानता:

1. दोनों ही भाषा शैली को सरस एवं प्रभावशाली बनाते हैं।

2. दोनों ही गंभीर और व्यापक अनुभव की उपज है।

3. दोनों ही विलक्षण अर्थ प्रकट करते हैं।

4. दोनों में प्रयुक्त शब्दों के स्थान पर पर्यायवाची या समानार्थी शब्दों का प्रयोग नहीं होता है।

5.दोनों की सार्थकता प्रयोग के बाद सिद्ध होती है।

 

 

 

☞︎︎︎ REET EXAM मै पुछे गए प्रश्न ✍︎
  • मियाँ की दाढ़ी चुमाई में गई : किसी वस्तु का देखने वालों द्वारा ही समाप्त हो जाना।
  • अंडा सेवे कोई, बच्चा लेवे कोई : मेहनत कोई करे और लाभ किसी अन्य को मिले।
  • अधेली न दे अधेला दे : दबाव में पड़कर अधिक देने को तैयार हो जाना।
  • आई मौज फकीर को दिया झोपड़ा फूंक : बैरागी व्यक्ति मोह माया से दूर रहता है।
  • आया है सो जायेगा राजा रंक फकीर : सबको मरना है।
  • आयी है जान के साथ जायेगी जनाजे के साथ : आजीवन किसी चीज से पिण्ड न छूटना 
  • अक्ल के पीछे डंडा लेकर दौड़ना : बेसमझी का काम करना।
  • अलाली चड़ना : सुस्ती आना, अकर्मण्यता आना।
  •  आइने में मुँह देखना : अपनी योग्यता या क्षमता को जांचना।
  • आकाश कुसुम होना : अनहोनी बात होना-दुर्लभ होना।
  • आकाश पर दिमाग होना : अधिक घमंड करना
  •  कुत्ते का भेजा खाना : अधिक बकवास करने की शक्ति होना।
  •  जोंक होकर लिपटना : किसी के पीछे बुरी तरह पड़ना।
  • जहाज का काग होना : ऐसी स्थिति में होना कि एक को छोड़कर दूसरा ठिकाना न हो।
  •  जनवासे की चाल चलना : बहुत सुस्त होना।
  •  कखरी लरका गाँव गोहार : वस्तु पास है पर चारों ओर शोर करते हैं।
  •  बाछे खिलना/बाग बाग होना : अत्यन्त प्रसन्न होना।
  • अपना रख पराय चख : अपनी वस्तु की रक्षा और दूसरे की वस्तु का उपयोग करना।
 
 

 
 
☞︎︎︎ UPTET EXAM मै पुछे गए प्रश्न ✍︎
  1.  कहें खेत की सुनें खलिहान की : अनसुनी करना अथवा उल्टा समझना 
  2.  कूद-कूद मछली बगुले की खाय : विपरीत कार्य होना।
  3. जंगल में मोर नाचा किसने देखा : किसी ऐसे स्थान पर कोई कार्य करना जिससे दूसरों को लाभ न हो।
  4. जेकर पुरखा न देखल पोय लेकर घर खुरबन्दी होय : जिसकेपूर्वजों ने छोटा काम भी न किया हो उसका कोई बड़ा कार्य करना
  5. शौकीन बुढ़िया चटाई का लहँगा : अवस्था के अनुसार आचरण न होना, अपनी इच्छा गलत ढंग से पूरी करना।
  6.  सूरदास की काली कामरि चढ़े न दूजो रंग : आदतें पक्की होती हैं, बदलती नहीं।
  7. हंसा थे सो उड़ गये, कागा भये दीवान : भले लोगों के स्थान पर बुरे लोगों के हाथ में अधिकार आना।
  8.  हाँडी का एक ही चावल देखा जाता है : किसी परिवार, जाति या देश के एक ही मनुष्य को देखने से ज्ञात हो जाता है कि शेष कैसे होंगे।
  9. हाथी निकल गया, पूँछ रह गयी : अधिकतर काम का पूरा हो जाना
  10. अंधेर नगरी : जहाँ धाँधली का बोलबाला हो।
  11.  अमर बेल बनना : संग लगे रहना।
  12. अंगूठे पर मारना (लेना) : परवाह न करना।
  13.  अचल पकड़ना (थामना): सहारा देना।
 
 

 
 
☞︎︎︎ MPSI EXAM मै पुछे गए प्रश्न ✍︎
  1.  अन्न का कन्न करना : बनी चीज को बिगाड़ देना।
  2.  अरण्य-रोदन : व्यर्थ विलाप।
  3. आग पानी साथ रखना : असम्भव कार्य करना।
  4. इन्द्र की परी : बहुत सुन्दर स्त्री।
  5. उधार खाना और भुस में आग लगाना : कर्ज को बढ़ाकर नाश कारक बनाना।
  6.  एक ही थैली के चट्टे-बट्टे : एक मेल के मनुष्य।
  7. एक लकड़ी से हाँकना अथवा एक लाठी से सबको हाँकना : समान व्यवहार करना।
  8. ओखली में सिर देना : कष्ट सहने पर उतारू होना।
  9.  कुम्हड़ बतिया होना : अशक्त होना।
  10. कौड़ी को मोल बिकना : बेकदर, होना।
  11.  खाला का घर : सहज काम, अपना घर।
  12. गिरगिट की तरह रंग बदलना : विचारों में जल्दी-जल्दी परिवर्तन करना।
  13.  धूप में बाल सफेद होना : अनुभव न होना।
  14. पानी-पानी होना : अत्यन्त लज्जित होना
  15.  बगुला भगत होना : भीतर से कपटी होना।
  16.  आप मियाँ जी माँगते द्वार खड़े दरवेश : अति दरिद्र के यहाँ भिक्षा माँगने वालों का आना।
  17. चढ़ जा बच्चा सूली पर भला करेंगे राम : बड़ों का छोटों को किसी काम के लिए उकसाना।
  18.  चोरी का माल मोरी में : गलत ढंग से अर्जित धन गलत ढंग से ही खर्च होता है।
  19.  न अंधे को न्योता देते न दो जने आते : न यह काम करते न बवाल खड़ा हाता
  20.  नई घोसन उपलों का तकिया : नया शौक पूरा करने का अटपटा कार्य करना।
  21.  नंगा बड़ा परमेश्वर से; नंगा ख़ुदा से बड़ा : निर्लज्ज से सभी डरते है
 

 
 
☞︎︎︎ UPSI/UPPSC EXAM मै पुछे गए प्रश्न ✍︎
  1.  अन्धे को न्यौता देते, न दो जने आते : किसी विशेष काम को करने के कारण विपत्ति का आना
  2.  नटनी जब बाँस पर चढ़ी तब चूंघट क्या? : जब बेशर्मी अपना ही ली तब लज्जा क्या?
  3.  नदी-नाव संयोग : थोड़े समय का साथ
  4.  नाई के बारात में जने-जने ठाकुर : जहाँ सभी नेता हों; जहाँ एक मालिक न हो, सभी अपनी-अपनी चलायें।
  5. पत्थर को जोंक नहीं लगती; पत्थर मोम नहीं होता : निर्दय व्यक्ति में दया नहीं होती।
  6. पाँच पंच मिल कीजै काज, हारे जीते नाही लाज : सब के सहयोग से कार्य करने पर निन्दा नहीं होती।
  7. बाप न मारी मेढकी, बेटा तीरन्दाज़ : सामर्थ्य से अधिक बढ़-
  8. चढ़कर बातें करना; झूठी शेखी बघारनेवाला
  9.  बिच्छू का काटा रोवे, साँप का काटा सोवे : मीठी मार अधिक बुरी होती है।
  10. भूल गये रागरंग भूल गये छकड़ी, तीन चीज़ याद रही- नून, तेल,लकड़ी : गृहस्थी के चक्कर में फँस जाना
  11. माया तेरे तीन नाम- परसू, परसा, परसुराम : धन ही प्रतिष्ठा का  मूल है; धनवान् की सब इज़्ज़त करते हैं।
  12. मिस्सों से पेट भरता है, क़िस्सों से नहीं : पेट को खाना चाहिए, केवल बातों से पेट नहीं भरता।
  13. मेढकी को भी जुकाम हुआ है : अपनी शक्ति से बढ़कर बात करना
  14. मेरी तेरे आगे, तेरी मेरे आगे : चुगलख़ोरी
  15. योगी था सो उठ गया, आसन रही भभूत : पुराना गौरव समाप्त हो जाना।
  16. रानी रूठेंगी तो अपना सुहाग लेंगी : मालिक नाराज़ होकर केवल नौकरी से निकाल सकता है
  17. रुपया परखे बार-बार, आदमी परखे एक बार : भले-बुरे व्यक्ति की पहचान उसके एक ही आचरण से हो जाती है।
 
 

 
 
☞︎︎︎ CTET / PET EXAM मै पुछे गए प्रश्न ✍︎

 

  1. लिखे ईसा, पढ़े मूसा : लिखावट में सुन्दरता का अभाव होना
  2. शल चुडैल की, मिज़ाज परियों का : बेकार का नखरा
  3. शेख़ी सेठ की, धोती भाड़े की : कुछ न होने पर भी बड़प्पन दिखाना
  4. शेरों का मुँह किसने धोया? : सामर्थ्यवान के लिए कोई उपाय नहीं।
  5.  सइसों का काल मुंशियों की बहुतायत : पढ़े-लिखों में बेकारी है।
  6. सारी रात मिमियानी और एक ही बच्चा बियानी : प्रयास बहुत अधिक और लाभ कम
  7. उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी भीख निदान : खेती का पेशा श्रेष्ठ, द्वितीय कोटि का व्यापार, नौकरी उससे भी नीचा और भिक्षावृत्ति जीवन-निर्वाह करने के लिए है।
  8. एक हम्माम में सब नंगे : सहयोगी एक-दूसरे की दुर्बलताएँ जानते हैं।
  9. करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े : दुर्भाग्य होने पर सभी काम बिगड़ते हैं।
  10. काजी जी दुबले क्यों शहर के अन्देशे से : अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना
  11. किस खेत का बथुआ है और किस खेत की मूली : नगण्य है।
  12. कोठी वाला रोवै, छप्परवाला सोवै : बहुत अधिक धन चिन्ता का :कारण होता है।
 
 

 
 
☞︎︎︎ DSSSB / PET EXAM मै पुछे गए प्रश्न ✍︎
  1. खरी मजूरी चोखा काम : नक़द पारिश्रमिक देने से ही काम अच्छा होता है।
  2. गयी माँगने पूत खो आई भतार : थोड़े लाभ के चक्कर में अधिक नुकसान कर बैठना।
  3. गरीब की जोरू सब गाँव की भौज़ाई : कमज़ोर से सब लाभ उठाते हैं।
  4. गाँछ (पेड़) में कटहल, ओठ में तेल : काम होने के पहले ही फल की इच्छा; ख्याली पुलाव पकाना
  5. गुरु कीजै जान, पानी पीजै छान : अच्छी तरह से सोच-समझकर कोई काम करना
  6. घड़ी में घर जले अढ़ाई घड़ी मन्दा : विषम परिस्थिति में बुद्धि का प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
  7. घड़ी में घर जले नौ घड़ी भद्रा : समय पर काम न हुआ तो उसका होना और न होना बराबर है।
  8.  घड़ी में तोला, घड़ी में मासा; पल में तोला, पल में मासा : अनिश्चित स्वभाव का व्यक्ति
  9. घर पर घोड़ा, नखास मोल : घर में वस्तु के उपलब्ध रहने पर भी उसे मण्डी से ख़रीदना
  10. चमार चमड़े का यार : स्वार्थी व्यक्ति
  11. चोट्टी कुतिया जलेबियों की रखवाली : भक्षक को रक्षक का
  12. दायित्व सौंपना छंटाक चून चौबारे रसोई : केवल दिखावा
  13.  छूछी हाँडी बाजे टन्-टन् : हलके व्यक्ति के खोखलेपन खुलासा हो जाता है 
 

 
 
 
 
☞︎︎︎ UPPOLICE EXAM मै पुछे गए प्रश्न ✍︎
  1. जब तक साँसा तब तक आसा : अन्तिम क्षण तक आशा बनाये रखना
  2. जब तक जीना तब तक सीना : जब तक जीवन है तब तक कोई-न-कोई काम-धन्धा करना ही पड़ता है।
  3. जबरा मारे रोवै न दे : ताक़तवर व्यक्ति का अत्याचार चुपचाप सहना पड़ता है।
  4. ज़र का ज़ोर पूरा, बाक़ी अधूरा : रुपया सबसे बलवान है।
  5. जर है तो नर, नहीं तो खण्डहर : रुपये से ही आदमी की इज़्ज़त है।
  6. जहाँ जाय भूखा, वहाँ पड़े सूखा : भाग्यहीन को कहीं सुख नहीं मिलता।
  7. जहाँ देखे तवा परात, वहाँ गुज़ारे सारी रात : जहाँ कुछ मिलने की आशा होती है वहाँ लालची व्यक्ति ठहर जाता है।
  8. जान मारे बनिया, पहचान मारे चोर : बनिया और चोर परिचित को ही नुकसान पहुंचाते हैं।
  9. जिसके हाथ डोई, उसका सब कोई : धनी व्यक्ति के सब मित्र होते हैं।
  10. जैसी बहै बयार, पीठ तब तैसी दीजै डार : अवसर के अनुकूल बन जाना चाहिए।
  11. झूठहि लेना झूठहि देना, झूठहि भोजन झूठ चबैना : हर कार्य में बेईमानी करना
  12. झोली डारे गज फिरे मुक्ता डारे साथ : निजी सम्पत्ति होने पर भी दूसरों से आशा करना
  13. टके की चटाई, नौ टका बिदाई : लाभ की अपेक्षा अधिक ख़र्च
  14. टट्टी की ओट से शिकार खेलना : छुपकर बुरा काम करना
  15. ठठेरे ठठेरे बदलौअल : धूर्त का धूर्त से चाल चलना
  16. डण्डा सबका पीर : सख़्ती करने से लोग नियन्त्रित होते है
 
 

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