अलंकार किसे कहते हैं? (परिभाषा, भेद तथा प्रकार) | Alankar Kise Kahate Hain-hindi0point

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अलंकार किसे कहते हैं? (परिभाषा, भेद तथा प्रकार) | Alankar Kise Kahate Hain-hindi0point 

☞︎︎︎ अलंकार की परिभाषा ✍︎

 

परिभाषा: अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है- ‘आभूषण’, जिस प्रकार स्त्री की शोभा आभूषण से उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है अर्थात जो किसी वस्तु को अलंकृत करे वह अलंकार कहलाता है।
 
संक्षेप में हम कह सकते हैं काव्य शरीर, अर्थात् भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित तथा सुन्दर बनानेवाले चमत्कारपूर्ण मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते है।
☞︎︎︎ अलंकार के भेद ✍︎

 

  1. शब्दालंकार  
  2. अर्थालंकार  
  3. उभयालंकार। 
☞︎︎︎ शब्दालंकार ✍︎

 

शब्दालंकार वे अलंकार है, जहाँ शब्द विशेष के ऊपर अलंकार की निर्भरता हो। शब्दालंकार में शब्द विशेष के प्रयोग के कारण ही कोई चमत्कार उत्पन्न होता है, उन शब्दों के स्थान पर समानार्थी दूसरे शब्दों को रख देने पर उसका सौन्दर्य समाप्त हो जाता है। जैसे-वह बाँसुरी की धुनि कानि परै, कुल-कानि हियो तजि भाजति है।

 
 उपयुक्त काव्य-पंक्तियों में ‘कानि’ शब्द दो बार आया है। पहले शब्द ‘कानि’ का अर्थ है ‘कान’ और दूसरे ‘कानि’ का अर्थ ‘मर्यादा’। इस प्रकार एक ही शब्द दो अलग-अलग अर्थ देकर चमत्कार उत्पन्न कर रहा है। इस प्रकार का शब्द प्रयोग ‘शब्दालंकार’ कहलाता है। यदि ‘कुल कानि’ के स्थान पर ‘कुल मर्यादा’ या ‘कुल-मान’ प्रयोग कर दिया जाय तो वैसा चमत्कार नहीं आ पाएगा।
☞︎︎︎ शब्दालंकार का भेद ✍︎

 

  1.  श्लेष अलंकार  click here 
  2.  अनुप्रास अलंकार  click here 
  3.  यमक अलंकार  click here
  4.  वक्रोक्ति अलंकार click here 
  5.  वीप्सा अलंकार click here

☞︎︎︎ अर्थालंकार की परिभाषा ✍︎

 

कविता में जब भाषा का प्रयोग इस प्रकार किया जाता है कि अर्थ में समृद्धि और चमत्कार उत्पन्न हो तो उसे अर्थालंकार कहते हैं। अर्थालंकारों में सादृश्य प्रधान अलंकार मुख्य है।

 

☞︎︎︎ अर्थालंकार प्रमुख अलंकार ✍︎

 

1. उपमा click here

2. रूपक click here
3. उत्प्रेक्षा click here
4. अतिशयोक्ति click here
5. अन्योक्ति। click here 
 6. संदेह। click here 
 7. भ्रांतिमान click here 
 8. दीपक
 9. विभावना click here 
 10. अप्रस्तुत प्रशंसा
 11 प्रतीप
 12. व्यतिरेक
 13. स्मरण
 14. उल्लेख
 15. दृष्टांत
 16. अर्थान्तरन्यास
 17. निदर्शना
 18 समासोक्ति
 19. पर्यायोक्ति
 20. विशेषोक्ति
 21. असंगति
 22. विरोधाभास
 23 यथासंख्य
 24. व्याजस्तुति
 25. प्रतिवस्तूपमा
 26 तुल्योगिता
 27. तद्गुण
 28. अतद्गुण
 29.मीलित
 30. उन्मीलित
 31. अपहृति
 32 परिसंख्या
 33. मुद्रा
 34.लोकोक्ति
 35. विनोक्ति 
 36. सहोक्ति 
 37. परिकर 
 38. परिरकरांकुर
 

 

श्लेष (shlesh)अलंकार की परिभाषा लिखिए, shlesh alankar ki paribhasha

अलंकार किसे कहते हैं? (परिभाषा, भेद तथा प्रकार) | Alankar Kise Kahate Hain-hindi0point
 

RUPAK अलंकार की परिभाषा ,RUPAK ALENKAR KI PARIBHASHA

 
जब गुण की अत्यंत समानता के RESION उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में कोई ANTER न दिखाई दे तब वह rupak alankar कहलाता है।
 
 

upma अलंकार की परिभाषा , upama alankar ki paribhasha

अलंकार किसे कहते हैं? (परिभाषा, भेद तथा प्रकार) | Alankar Kise Kahate Hain-hindi0point

अनुप्रास अलंकार की परिभाषा ,anupras alankar ki paribhasha

अलंकार किसे कहते हैं? (परिभाषा, भेद तथा प्रकार) | Alankar Kise Kahate Hain-hindi0point
 yamak अलंकार की परिभाषा,yamak alankar ki paribhasha
 

yamak alankar : जिस काव्य में समान शब्द के अलग-अलग अर्थों में आवृत्ति हो, वहाँ yamak alankar होता है। यानी जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे।  कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पाए बौराय।।

 

अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा ,Atishyokti Alankar ki paribhasha 

 
अलंकार किसे कहते हैं? (परिभाषा, भेद तथा प्रकार) | Alankar Kise Kahate Hain-hindi0point
 
 
 
 

वक्रोक्ति अलंकार किसे कहते हैं,Vakrokti Alankar in Hindi

 
जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अर्थ न ग्रहण कर सुनने वाला व्यक्ति अन्य ही चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, तब उसे Vakrokti Alankar कहते हैं। दूसरे शब्दों में जहाँ किसी के कथन का कोई दूसरा पुरुष दूसरा अर्थ निकाले, वहाँ Vakrokti Alankar होता है।
 

भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते हैं ?Bhrantiman Alankar ki paribhasha 

 

Paribhasha – जब KISI पद में किसी सादृश्य विशेष के RESION उपमेय (जिसकी तुलना की जाए) में उपमान (जिससे तुलना की जाए) का भ्रम उत्पन्न हो जाता है तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब किसी पदार्थ को देखकर हम उसे उसके समान गुणों या विशेषताओं वाले किसी अन्य पदार्थ (उपमान) के रूप में मान लेते हैं तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है। जब उपमेय को भूल से उपमान समझ लिया जाए।

 

विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा

 
परिभाषा: संपूर्ण कारणों के होने पर भी फल का न कहना विशेषोक्ति है। अर्थात काव्य में जहाँ कार्य सिद्धि के समस्त कारणों के विद्यमान रहते हुए भी कार्य न हो वहाँ पर विशेषोक्ति अलंकार होता है।
 

विशेषोक्ति अलंकार के उदाहरण

1.नेह न नैनन को कछु उपजी बड़ी बलाय ।
नीर भरे नित प्रति रहे तउ न प्यास बुझाय।।
 

विभावना अलंकार की परिभाषा 

vibhavana alankar की परिभाषा:- बिना कारण के काम हो जाना अर्थात जहाँ किसी कार्य कारण के सम्बंध में कोई विलक्षण बात कही जाती है, तब वहाँ vibhavana alankar होता है। कारण के अभाव में कार्य का होना बताया जाता है। जहाँ बिना कारण के कार्य का होना पाया जाए वहाँ विभावना अलंकार होता है।
 
 

सन्देह अलंकार किसे कहते हैं

 
 जब UPMEY और UPMAN में समानता देखकर यह तय नहीं हो पाता है कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं। जब यह दुविधा बनती है, तब वहां SANDEH ALANKAR  होता है। अथार्त जहाँ पर किसी व्यक्ति या वस्तु को देखकर संशय बना रहे वहाँ पर संदेह अलंकार होता है।
 

विरोधाभाष अलंकार की परिभाषा 

परिभाषा – जहाँ VASTIVIK विरोध न होकर केवल विरोध
का आभास हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है। अर्थात जब किसी वस्तु का वर्णन करने पर विरोध न होते हुए भी विरोध का आभाष हो वहाँ पर विरोधाभास अलंकार होता है।
 

विरोधाभाष अलंकार के उदाहरण

1.या अनुरागी चित्त की गति समुझे नहिं कोय। । 
ज्यों-ज्यों बूड़े स्याम रँग त्यों-त्यों उज्ज्वल होय ।।
 
 

विप्सा अलंकार किसे कहते हैं

 
जब दुख, आश्चर्य, Adar, हर्ष, SHOK, इत्यादि जैसे विस्मयादिबोधक भावों को व्यक्त करने के लिए शब्दों की पुनरावृत्ति की जाए तब उसे ही विप्सा अलंकार कहते है।

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