Hindi Vyakaran – सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar-hindi0point

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Hindi Vyakaran – सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण

Hindi Grammar Topics link 
1. वर्णमाला,Varnmala Click here
2. संधि,sandhi Click here
3. समास,samas Click here
4. अलंकार, alankar ke type Click here
4. रस के प्रकार, ras ke type Click here
5. छंद,chhand Click here
6. वाक्य के भेद,vakya ke bhed Click here
7. विराम चिन्ह,viram chinh Click here
8. पर्यावाची शब्द,paryavachi shabd Click here
9. विलोम शब्द,vilom shabd Click here
10. अनेकार्थी शब्द,Anekarthi shabd Click here
11. तत्सम, तद्भव, संकर , tatsam tadbhaav Click here
12. उपसर्ग, प्रत्यय uprag prattaye Click here
13. वर्तनी, vartani Click here
14. मुहावरे,muhabare Click here
15. लोकोक्तियां और कहावतें Click here
16. विशेषण और विशेष्य Click here
17. देशज और विदेशज Click here
18. सर्वनाम Click here
19. संज्ञा के अवयव Click here
20. वाक्य शुद्धि, अशुद्धियां Click here
21. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द Click here
22. हिंदी गद्य/पद्य/रचनाकार Click here
23. क्रमबाद्धता Click here
 

 वर्णमाला किसे कहते हैं इन हिंदी?

हिन्दी में 52 वर्ण हैं। अर्थात् वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं। इसे हम ऐसे भी कह सकते है, किसी भाषा के समस्त वर्णो के समूह को वर्णमाला कहते हैै।

स्वर किसे कहते हैं?

सांस, कंठ, तालु आदि स्थानों से जब बिना रुके वर्णों का उच्चारण किया जाता है, उन्हें स्वर कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला में कुल 11 स्वर होते हैं।
स्वर: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ औ

व्यंजन किसे कहते हैं?

जब स्वर की help से वर्णों को बोला जाता है, उन्हें व्यंजन कहा जाता है और वर्णमाला में कुल 33 व्यंजन होते हैं।
व्यंजन: क, ख, ग, घ, ङ च, छ, ज, झ, ञ ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़ त, थ, द, ध, न प, फ, ब, भ, म य, र, ल, व श, ष, स, ह

Sandhi (संधि)

सन्धि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है ‘मेल’ या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। संस्कृत, हिन्दी एवं अन्य भाषाओं में परस्पर स्वरो या वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को सन्धि कहते हैं।

समास किसे कहते हैं?

समास का अर्थ हैं ‘संक्षिप्तीकरण’, हिन्दी व्याकरण में समास का शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप, जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है उस शब्द को हिन्दी में समास कहते हैं।
अथवा
 समास वह क्रिया है, जिसके द्वारा हिन्दी में कम-से-कम शब्दों मे अधिक-से-अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है।

समास के उदाहरण:-

‘ रसोई के लिए घर इसे हम रसोईघर भी कह सकते है’
‘राजा का पुत्र’ – राजपुत्र
समास रचना में दो पद होते हैं , पहले पद को ‘पूर्वपद ‘ कहा जाता है और दूसरे पद को ‘उत्तरपद ‘ कहा जाता है। इन दोनों से जो नया शब्द बनता है वो समस्त पद कहलाता है।
जैसे :-
रसोई के लिए घर = रसोईघर
हाथ के लिए कड़ी = हथकड़ी
नील और कमल = नीलकमल
रजा का पुत्र = राजपुत्र

अलंकार किसे कहते हैं?

अलंकार किसी काव्यांश-वाक्यांश की सुंदरता को बढ़ाने वाले शब्द होते हैं ,जैसे अपने शब्दों के माध्यम से किसी की सुंदरता को चांद की उपाधि देना यह बिना अलंकार के संभव नहीं है। भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित और सुंदर बनाने का काम अलंकार का ही है।
रस
रस की परिभाषा:शब्द की व्युत्पत्ति एवं अर्थ संस्कृत में ‘रस’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘रसस्यते असो इति रसाः’ के रूप में की गई है,अर्थात् जिसका आस्वादन किया जाए, वही रस है, परन्तु साहित्य में काव्य को पढ़ने, सुनने या उस पर आधारित अभिनय देखने से जो आनन्द प्राप्त होता है, उसे ‘रस’ कहते हैं।
रस
रस सिद्धान्त भारतीय काव्य-शास्त्र का अति प्राचीन और प्रतिष्ठित सिद्धान्त है। नाट्यशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य भरतमुनि का यह प्रसिद्ध सूत्र ‘रस-सिद्धान्त’ का मूल हैं
छंद की परिभाषा:
छंद शब्द ‘चद्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है ‘आह्लादित करना’,’खुश करना’। यह आह्लाद वर्ण या मात्रा की नियमित संख्या के विन्यास से उत्पन्न होता है।
 इस प्रकार,
छंद की परिभाषा: ‘वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो, तो उसे छंद कहते हैं। छंद का सर्वप्रथम उल्लेख ‘ऋग्वेद’ में मिलता है। जिस प्रकार गद्य का नियामक व्याकरण है, उसी प्रकार पद्य का छंद शास्त्र है।
वाक्य की परिभाषा:
वाक्य की परिभाषा: शब्दों का व्यवस्थित रूप जिससे मनुष्य अपने विचारों का आदान प्रदान करता है उसे वाक्य कहते हैं एक सामान्य वाक्य में क्रमशः कर्ता, कर्म और क्रिया होते हैं।
वाक्य के मुख्यतः दो अंग माने गये हैं।
उदाहरण के लिए ‘सत्य की विजय होती है। ‘ एक वाक्य है क्योंकि इसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है किन्तु ‘सत्य विजय होती।
Viram Chinh (विराम चिन्ह) in Hindi –
Viram Chinh: विराम का अर्थ है-रुकना या ठहरना,, वक्ता अपने भावों व विचारों को व्यक्त करते समय वाक्य के अन्त में या कभी-कभी बीच में ही साँस लेने के लिए रुकता है, इसे ही विराम कहते हैं।
Paryayvachi Shabd (Synonyms Words) पर्यायवाची शब्द- Hindi Grammar
पर्यायवाची= ‘पर्याय’ का अर्थ है- ‘समान’ तथा ‘वाची’ का अर्थ है- ‘बोले जाने वाले’ अर्थात जिन शब्दों का अर्थ एक जैसा होता है, ,उन्हें ‘पर्यायवाची शब्द’ कहते हैं। इसे हम ऐसे भी कह सकते है- जिन शब्दों के अर्थ में समानता हो, ,उन्हें ‘पर्यायवाची शब्द’ कहते है।
अनेकार्थी शब्द क्या हैं? अनेकार्थी शब्द की परिभाषा – hindi grammar
ऐसे शब्द, जिनके अनेक अर्थ होते है, अनेकार्थी शब्द कहलाते है। दूसरे शब्दों में- जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं, उन्हें ‘अनेकार्थी शब्द’ कहते है।
तत्सम शब्द की परिभाषा:-
तत्सम शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों, तत् + सम् से
मिलकर बना है। तत् का अर्थ है – उसके, तथा सम् का अर्थहै – समान। अर्थात – ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के ले लिया जाता है, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। इनमें ध्वनि परिवर्तन नहीं होता है | हिन्दी,बांग्ला, कोंकणी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, तेलुगू, कन्नड,मलयालम, सिंहल आदि में बहुत से शब्द संस्कृत से सीधे ले लिए गये है,, क्योंकि इनमें से कई भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं।
जैसे.
चंद्र, क्षेत्र, अज्ञान, आम्र, अमूल्य,अन्धकार,अग्नि, आदि।
तद्भव शब्द की परिभाषा:-
तत्सम शब्दों में समय और परिस्थितियों के कारण कुछ
परिवर्तन होने से जो शब्द बने हैं उन्हें तद्भव कहते हैं। तद्भव का शाब्दिक अर्थ है – उससे बने (तत् + भव = उससे उत्पन्न), अर्थात जो उससे (संस्कृत से) उत्पन्न हुए हैं। यहाँ पर तत् शब्द भी संस्कृत भाषा की ओर इंगित करता है। अर्थात जो संस्कृत से ही बने हैं। इन शब्दों की यात्रा संस्कृत से आरंभ होकर पालि, प्राकृत, अपभ्रंश भाषाओं के पड़ाव से होकर गुजरी है और आज तक चल रही है।
जैसे –
मुख से मुँह
ग्राम से गाँव
दुग्ध से दूध
भ्रातृ से भाई आदि।
उपसर्ग की परिभाषा, भेद और उदाहरण | upsarg – HINDI
उपसर्ग ऐसे शब्दांश जो किसी शब्द के पूर्व जुड़ कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं या उसके अर्थ में विशेषता ला देते हैं। उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) का अर्थ है – किसी शब्द के समीप आ कर नया शब्द बनाना। उदाहरण: प्र + हार = प्रहार, ‘हार’ शब्द का अर्थ है पराजय।
प्रत्यय की परिभाषा, भेद और उदाहरण | pratyay – HINDI
प्रत्यय ‘प्रत्यय’ दो शब्दों से बना है– प्रति + अय। ‘प्रति’ का अर्थ है ‘साथ में, पर बाद में; जबकि ‘अय’ का अर्थ ‘चलने वाला’ है। अत: ‘प्रत्यय’ का अर्थ हुआ, ‘शब्दों के साथ, पर बाद में चलने वाला या लगने वाला, अत: इसका प्रयोग शब्द के अन्त में किया जाता है। प्रत्यय किसी भी सार्थक मूल शब्द के पश्चात् जोड़े जाने वाले वे अविकारी शब्दांश हैं, जो शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ में या भाव में परिवर्तन कर देते हैं अर्थात् शब्द में नवीन विशेषता उत्पन्न कर देते हैं या अर्थ बदल देते हैं।
जैसे–
सफल + ता = सफलता
अच्छा + ई = अच्छाई
वर्तनी किसे कहते है? वर्तनी की परिभाषा और उदाहरण सहित समझाए | Vartani in Hindi
वर्तनी की परिभाषा: वर्तनी का अर्थ है की- अनुसरण करना, अर्थात पीछे-पीछे चलना,भाषा के उच्चरित रूप या बोलने में जो कहा जाता है अथवा उच्चरित किया जाता है, उसी के अनुरूप या अनुसार लिखा भी जाता है; इसे ही वर्तनी कहते हैं। भाषा का लिखित रूप वर्तनी की सहायता लेता है। अतः भाषा के उच्चरित रूप को उसी रूप में लिपिबद्ध करना ‘वर्तनी’ कहलाता है।
मुहावरे की परिभाषा:-
» ऐसे सुगठित शब्द समूह जिनसे लक्षणाजन्य
और कभी कभी व्यंजनाजन्य कुछ विशिष्ट अर्थ
– निकलता है मुहावरा कहलाते हैं। ये शब्द समूह
कई बार व्यंग्यात्मक भी हो सकते है। मुहावरे
किसी भाषा को जीवंत, रंगीन और सरस बना
देती है। इनके प्रयोग से भाषा प्रभावशाली,
गतिशील और रोचक बन जाती है।
मुहावरे और लोकोक्ति में क्या अंतर होता है?
मुहावरा शब्दों के ऐसे समूह (वाक्यांश) को कहते हैं,जो अपने प्रचलित अर्थ को छोड़कर किसी दूसरे अर्थ(लाक्षणिक अर्थ) को व्यक्त करता है । जबकि लोकोक्ति जन साधारण में प्रचलित उस कथन या उक्ति को कहते हैं,जिसका प्रयोग उपालम्भ देने ,व्यंग्य करने,चुटकी लेने आदि के लिए किया जाता है।
विशेष्य और विशेषण की परिभाषा: –
विशेष्य और विशेषण की परिभाषा : – संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं। विशेषण जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है उसे विशेष्य कहते हैं। विशेष्य या तो संज्ञा रूप में होता है या क्रिया रूप में। जब यह संज्ञा रूप में होता है तो इसे संज्ञा विशेषण कहते है
देशज और विदेशी शब्द में अंतर –
देशज वे शब्द होते है जिनकी उत्पत्ति के मूल का पता न हो परन्तु वे प्रचलन में हों। ऐसे शब्द देशज शब्द कहलाते हैं। ये शब्द आम तौर पर क्षेत्रीय भाषा में प्रयोग किये जाते हैं। विदेशी भाषाओं से हिंदी में आये शब्दों को विदेशी शब्द कहा जाता है।
सर्वनाम – सर्वनाम के भेद, परिभाषा,
उदाहरण – Sarvanam ke bhed
सर्वनाम: सर्वनाम वे शब्द है जो संज्ञा के बदले में आए उसे सर्वनाम कहते हैं।
जैसे- वह, मैं, तुम, , उसका, उसकी,हम, आप आदि।
संज्ञा (Sangya) – परिभाषा, भेद और उदाहरण : Noun in hindi
किसी जाति, भाव,द्रव्य, गुण, स्थान,व्यक्ति, और क्रिया आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।
जैसे – पशु (जाति), सुन्दरता (गुण), व्यथा (भाव), मोहन (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), मारना (क्रिया)। जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, भाव या दशा, धर्म आदि का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
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