आज हम आपको hindi0point से अलंकारों की श्रृंखला में रूपक अलंकार किसे कहते हैं – परिभाषा,उदाहरण | rupak alankar in hindi | रूपक अलंकार के उदाहरण को विधिवत बताया गया है । इसमें आपको परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्नों का भी समूह दिया जाएगा ।Roopak Alankar ki paribhasha : रूपक अलंकार की परिभाषा, उदाहरण व सम्पूर्ण अर्थ क्या है
रूपक का अर्थ है roopak ka arth hai:-
रूपक का अर्थ है – रूप लेना अर्थात जहां उपमेय उपमान का रूप धारण कर ले वहां रूपक अलंकार होता है।
रूपक अलंकार के अन्य(20) उदाहरण-
1. मुनि पद कमल बंदि दोउ भ्राता ।
2. अपलक नभ तील नयन विशाल ।
3. भजमन चरण कँवल अविनाशी ।
4. बंद नहीं, अब भी चलते हैं निभाती नटी के क्रियाकलाप ।
5. सिंधु विहंग तरंग-पंख को फड़काकर प्रतिक्षण में।
6. हरि जननी, मैं बालक तेरा।
7. मुनि पद-कमल बंदी दोउ भ्राता।
8. अंसुवन जल सींची सींची प्रेम बेलि बोई।
9.गोपी पद पंकज पावन कि रज जामे सिर भीजे ।
10. बीती विभावरी जागरी ! अम्बर पनघट में डुबो रही तारा घाट उषा नगरी ।
11. प्रभात यौवन है वक्ष सर में कमल भी विकसित हुआ है कैसा|
12. माया दीपक नर पतंग भ्रमि भ्रमि पडंत।
13. बढ़त-बढ़त संपत्ति-सलिलु, मन सरोज बढ़ि जाए।
14. उदित उदयगिरि-मंच पर, रघुवर-बाल पतंग।
15. बिकसे संत-सरोज सब, हरषै लोचन भृंग।
16. अपने अनल-विशिख से आकाश जगमगा दे।
17. अनुराग तडा़ग में भानु उदै, विगसी मनो मंजुल कंज कली।।
18. शाशि – मुख पर घूँघट डाले आंचल में दीप छिपाये।
19. मन सागर, मनसा लहरी, बूड़े -बहे अनेक |
20. विषय – वारि मन -मीन भिन्न नहिं होत कबहुँ पल एक ।
रूपक अलंकार के भेद | roopak alankaar ke bhed | रूपक अलंकार के प्रकार | roopak alankaar ke prakaar :-
(a) परम्परिक रूपक
(b) निरंग रूपक
(c) सांग रूपक
1.परम्परित-रूपक :-
जिस रूपक में एक आरोप दूसरे आरोप का कारण हो, वहाँ ‘परम्परित होता है।
उदाहरण –
महिमा-मृगी कौन सुकृति की, खल-वच-विसिख न बाँची ?
यहाँ महिमा में मृगी का आरोप, दुष्ट वचन में बाण के आरोप के कारण करना पड़ा है। अतः यह परम्परित रूपक अलंकार है।
2.निरंग-रूपक :-
जहाँ केवल उपमेय पर उपमान का आरोप हो, अंगों का आरोप न हो।
उदाहरण-
हैं शत्रु भी यों मग्न जिसके शौर्य पारावार में ।
3.सांगरूपक :-
जिस रूपक में उपमेय के अंगों अथवा अवयवों पर उपमान के अंगों अथवा अवयवों का आरोप किया जाता है।
उदाहरण-
उदित उदयगिरि मंच पर, रघुवर बाल पतंग ।
विकसे सन्त सरोज सब, हरषै लोचन भृंग ॥
रूपक अलंकार के अन्य उदाहरण | रूपक अलंकार के परीक्षा उपयोगी उदाहरण :-
(a) मन का मनका फेर।
(b) सत्य सील दृढ़ ध्वजा-पताका।
(c) एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास।
(d) मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहौं।
(e) संसार की समरस्थली में धीरता धारण करो।
(f) वन-शारदी चंद्रिका-चादर ओढ़े।
(g) सब प्राणियों के मत्तमनोमयूर अहा नचा रहा।
(h) चरण-कमल बंदौ हरिराई।
(i) बीती विभावरी जाग री!
अंबर पनघट में डुबो रही
तारा घट उषा नागरी।
(j) आए महंत बसंत।
रूपक अलंकार किसे कहते हैं – परिभाषा,उदाहरण | rupak alankar in hindi के परीक्षा उपयोगी प्रश्न
1. रूपक अलंकार कब होता है?
उत्तर- जब उपमेय में उपमान का भेद रहित आरोप होता है।
2. रूपक अलंकार काव्य के शब्द में या अर्थ में सुंदरता बढ़ाता है?
उत्तर- अर्थ में
3. चरण कमल बंदौ हरि राई पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
उत्तर- रूपक अलंकार
4. रूपक अलंकार किस अलंकार का भेद है?
उत्तर- अर्थालंकार
5. रूपक अलंकार के कितने भेद होते हैं?
उत्तर- 3
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