अनुप्रास अलंकार की परिभाषा – Anupras Alankar Ki Paribhasha
अनुप्रास अलंकार :–
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा: अनुप्रास अलंकार वह रूप आवृत्ति है जब काव्य में किसी वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है, अर्थात् कोई वर्ण एक से अधिक बार आता है।
जैसे:-
1.चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही हैं जल-थल में।
2.लाली मेरे लाल की जित देखौं तित लाल |
3.बंदऊँ गुरुपद पदुम परागा।
सुरुचि सुवास सरस अनुरागा।
4.तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
यहाँ ‘त’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुई है।
अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है।
अनुप्रास अलंकार अन्य उदाहरण Anupraas alankaar any udaaharan :-
- सठ सुधरहिं सत संगति पाई। – (‘स’ वर्ण की आवृत्ति)
- कालिंदी कूल कदंब की डारन। – (‘क’ वर्ण की आवृत्ति)
- सेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
- रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम। – (‘र’ वर्ण की आवृत्ति)
- चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल-थल में। – (‘च’ वर्ण की आवृत्ति)
- मुदित महीपति मंदिर आए। – (‘म’ वर्ण की आवृत्ति)
- मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो। – (‘म’ वर्ण की आवृत्ति)
अनुप्रास अलंकार उदाहरण anupraas alankaar udaaharan:–
- चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में ( ‘च’ की आवृत्ति )
- रघुपति राघव राजा राम ( ‘र’ की आवृत्ति )
- विमल वाणी ने वीणा ली ,कमल कोमल क्र में सप्रीत। ( ‘व’ ,ण , क , ल , की आवृत्ति )
- मुदित महिपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमंत बुलाए ( ‘म’ और ‘स’ की आवृत्ति )
- बंदौ गुरु पद पदुम परगा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा ( ‘प’ और ‘स’ की आवृत्ति )
- कल कानन कुंडल मोर पखा उर पे बनमाल विराजती है ( ‘क’ की आवृत्ति )
- कालिंदी कूल कदंब की डारिन ( ‘क’ की आवृत्ति )
- कूकै लगी कोयल कदंबन पर बैठी फेरि। ( क वर्ण की आवृति हुई है )
- कालिका सी किलकि कलेऊ देती काल को ( ‘क’ की आवृत्ति )
- बरसत बारिद बून्द गहि ( ‘ब’ की आवृत्ति )
- चमक गई चपला चम चम ( ‘च’ की आवृत्ति )
- कुकि – कुकि कलित कुंजन करत कलोल ( ‘क’ की आवृत्ति )
- खेदी -खेदी खाती दीह दारुन दलन की ( ‘ख’ और ‘द’ की आवृत्ति )
- हमारे हरि हारिल की लकरी ( ‘ह’ की आवृत्ति )
- तू मोहन के उरबसी हवे उरबसी समान
- तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए ( ‘त’ की आवृत्ति )
- प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि ( ‘क’ की आवृत्ति )
- रावनु रथी विरथ रघुवीरा ( ‘र’ की आवृत्ति )
अनुप्रास अलंकार के भेद anupraas alankaar ke bhed :-
1. लाटानुप्रास अलंकार
2. वृत्यानुप्रास अलंकार
3. छेकानुप्रास अलंकार
4. अन्त्यानुप्रास अलंकार
5. श्रुत्यानुप्रास अलंकार