सिर झुका तूने नियति की मान ली यह बात | स्वयं ही मुरझा गया तेरा हृदय-जलजात। इस पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
Q.1.सिर झुका तूने नियति की मान ली यह बात |
स्वयं ही मुरझा गया तेरा हृदय-जलजात। इस पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
ANSWER= (c) रूपक
Question solution:-
सिर झूका तूने नियति की मान ली यह बात। स्वयं ही मुर्झा गया तेरा हृदय-जलजात।। पंक्ति में rupak anlenkar अलंकार होता है। उपर्युक्त पंक्तियों में ‘हृदय-जलजात’ में हृदय’ उपमेय पर ‘जलजात’ (कमल) उपमान का अभेद आरोप किया गया है।
रूपक अलंकार की परिभाषा: –
जहां गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमास का अभेद आरोप कर दिया गया हो, वहां रूपक अलंकार होता है।